आज हम जानेंगे Networking के एक important server के बारे में। और बह server है DNS server। तो चलिए बिना किसी देर के इस पूरे article से आपको क्या क्या शिखने को मिलेगी बह जान लेते है। इस पूरे article से आपको शिखने को मिलेगी – DNS क्या है – What is DNS in Hindi, DNS का प्रकार, DNS कैसे काम करता है, और Internet में किसी भी website की Webpage को कौन कौन सा servers load करता है। तो चलिए शुरू करते है-
DNS क्या है – What is DNS in Hindi
DNS का full from है Domin Name System। और यह internet में मिलने वाली एक ऐसा system है जो किसी भी website की name को उसकी unique IP address में और किसी website की unique IP address को उसकी unique name में convert करने का काम करता है।
ठीक है दोस्तो आपको अगर ठीक तरह से समझ में नहीं आया है तो कोइ बात नहि। आपको एक real time example देके समझाता हूं। दोस्तो पहले मुजे बताइए आप किस तरह आपने phone में किसी के phone number को save करके करते हैं और फिर कैसे उस व्यक्ति से contact करते है ? आपका answer यही है न, के उसके phone number को उसके नाम से save करके रखते हैं । और फिर जब उस व्यक्ति से contact करना होता है तो उसकी नामको search करके उस व्यक्ति को contact करते है।
ठीक इसी किस्सा DNS में भी होता है। DNS भी किसी website की unique IP address को उसकी name से save करके रखते हैं। और फिर user जब internet पे किसी website का नाम लिखके search करते है ( मान लीजिए user Facebook लिखकर search किया ) तब user की बह request पहले DNS के पास जाता है। फिर DNS Facebook के name पर जो unique ip address saved है, उसमे convert करके देता है। उसके बाद user की request Facebook तक पहुंचती है।
मैं आशा रखता हूं इस example को पढ़ने के बाद आपको DNS क्या है ? बह चीज clear हो गई होगी है। अब हम आगे की तरफ बरते है।
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DNS का प्रकार – Types of DNS in Hindi
अब हम जानेंगे DNS के प्रकार के बारे में। देखिए दोस्तों , किसी भी website के नाम के बाद जो तीन या दो word (.com, .org, .net, .in, .uk,) लिखा हुआ रहता है, उसको मध्य नजर रखते हुए Domin को तीन भागों में बांटा गया है। बह तीन Domin type है –
- Generic Domains
- Country Domain
- Inverse Domain
Generic Domains
Generic Domin को Top level Domin भी कहा जाता हैं। किसी भी website के नाम के बाद अगर .com, .org, .net, .mil, .edu यह सब लिखा हुआ रहता है तो उस website को generic Domin कहा जाता है। इस Domin या website को इसलिए top level Domin बोलते हैं क्योंकि इस type के website या Domin name को पूरे world में किसी भी कोने में बैठ के access किया जा सकता है। For example- मैंरा Website itintelligance.com, YouTube.com, google.com, etc.
Country Domain
किसी भी website के नाम के बाद अगर .in, .uk, .pk, etc यह सब लिखा हुआ रहता है तो उस website को country Domin कहा जाता है। इस type के domin या website सिर्फ एक country में ही दिखाई देगा जिस country के code बह use कर रहा है। for example – अगर कोई website के नाम के बाद .in लिखा है तो सिर्फ India में ही बह website show होगा, other countries में इस website show नही होगा। for example- Webmusic.in, drdo.in, isro.gov.in etc.
Inverse Domain
ऊपर की दो Domin के types में से Inverse Domin का concept थोड़ा अलग है। आपके पास अगर किसी वेबसाइट के IP address है और google में जा कर आप अगर उस IP address के through उस website में जाना जाता हो तो उस domin या website में जाने की तरीका को inverse Domin कहा जाता है।
Internet में किसी भी Webpage को loading करता है चार DNS server – 4 DNS servers involved in loading a webpage
इससे पहले आप आगे बारे आपको एक बात जान लेना जरूरी है, internet human readable language को समझके हमारे quarry को solve नहीं करता है, internet हमारे quarry को solve करते है IP address के जरिए। और हम जब भी internet में कोई quarry करते है बह quarry हमेशा human readable language में ही होता है। इसलिए उस human readable language को destination IP address में convert करना परता है। और उस human readable language को destination IP address में convert करके webpages को हमारे Browser में load करता है इन चार महत्वपूर्ण DNS Server।
मतलब आप जब भी कोई quarry google में search करते हो, तो google में बहुत सारे website की pages दिखाई देती है। Right ! और आपके browser में उन सव Webpage को load करने में मदद करता है DNS के इन चार महत्वपूर्ण Server। जिसका बर्णन नीच में की गई है –
DNS recursor
DNS के इस server मतलब DNS recursor एक महत्वपूर्ण server है। इस server का काम होता है users के सारे request को accept करना और accept करके Root Name Server को भेज देना। खासतोर पर इन server को users के सारे request accept करने के लिए design की गई है। request को accept करने के एलाबा इस server और एक काम करता है बह है user के frequently search’s website की ip address को store करके रखना।
मतलब इस server को आप computer की cache memory के रूप में सोच सकते हो। computer की cache memory जिस तरह सभी frequently search’s files को store करके रख लेता है। फिर जब दुबारा users उन files को search करता है तो तुरंत users को बह file provide करता है। ठीक उसी प्रकार DNS recursor भी frequently search’s website की ip address को store करके रखते है और users जब फिर से उन website को search करता है तो तुरंत users को बह website provide करता है।
आप अगर Cache Memory के बारे में details में जानना चाहते हो तो इस notes को follow करो –
Root Name Server
DNS root name server का काम होता है DNS recursor के द्वारा भेजे गई request को मतलब users की request (human readable language) को URL में convert करना। और convert करके Top Level Domin (TLD) nameserver के पास भेज देना। for example- https://itintelligance.com इस तरह।
Top Level Domin (TLD) nameserver
top level domain server का काम होता है और Root name server के द्वारा convert की गई URL के पीछे से Domin type (.com, .in) क्या है उसको पता करना। और उस website जिस भी Domin category (.com, .in, .org, etc) में परता है उस Domin catagory की server कहाँ पर है, उसका exact location देके Authoritative nameserver के पास भेज देना। क्योंकि वहाँ पर ही सारे website की नाम पर booked की गई IP address store है।
Authoritative nameserver
अंतिम Nameserver मतलब Authoritative nameserver ने क्या करता है Top Level Domin server के द्वारा दी गई location के मुताबिक website की सही IP address को ढूंढना और ढूंढके DNS recursor को उस आईपी address भेजना।
फिर DNS recursor उस IP address के जरिए website की server तक पहुंचता है और उस website की web pages को browser में load करता है।
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DNS कैसे काम करता है – How to work DNS in Hindi
4 DNS servers क्या काम करता है बह हम ऊपर की topic में जान चुके है। अब हम पूरे practically देखेंगे DNS कीस तरह webpages को हमारे browser में load करता है। और बह भी एकदम step by step। तो चलिए फटाफट जान लेते है-
देखिए दोस्तों आप जब भी कोई quarry या request Google में Search करते हो मान लीजिए आपने Facebook लिखके search किए हो। बह request पहले DNS recursor पर जाएगी। DNS recursor को ISP name server के नाम से भी जाना जाता है। क्यूंकी इस server ISP के पास रहता है। ISP मतलब Internet service provider। जो हमे internet provide करता है (बह jio, Airtel, VI, BSNL कुछ भी हो सकता है )
जैसे ही आपके ISP के पास आपका request जाता है बह आपने सर्वर में check करता है Facebook के कोई ip address है की नही। अगर फेसबुक की IP Address मिल जाता है तो वह तुरंत आपके डिवाइस में वह IP Address भेज देता है और आपके डिवाइस में फेसबुक की homepage दिखाई देती है।
किन्तु अगर Local name server या DNS recursor में Facebook की ip address नही मिलता है तो आपके request को root name server में भेज दिया जाता है। हालांकि ऐसा नहीं होता हमारे ISP के Local Server बहुत strong है वह सभी website की IP Address store करके रखते हैं। इस प्रकार के छोटे-छोटे Request के लिए हर बार Root name server में नहीं भेजा जाता है क्योंकि पूरे विश्व में root name server सिर्फ तेरा (13) ही है। इस तरह अगर छोटे-मोटे request हर बार root name server में भेजा जाएगा तो root name server slow हो जाएगा।
फिर भी मान लेता हूं आगर Facebook जैसी Website की IP Address आपके ISP के Local name server या recursor में नहीं मिलता है तो वह request root name server पर भेजा जाता है। root name server उस request को URL में convert करने का काम करता है। और convert करके Top level domin server में भेज देता है।। for example – https://facebook.com इस प्रकार के address आप browser के URL section मे देखे होंगे।
जैसे ही टॉप लेवल डोमिन के पास बह request जाता है। TLD server Facebook की URL ( https://facebook.com) को देखके पता कर लेगा इस URL की Domin types है – .com। जैसी ही .com को देखेगा बह तुरंत बता देगा इस .com का server कहाँ पर है और उस server की exact location देके authorative name server के पास देगा।
authorative name के पास जैसे ही request जाएगा। authoritative name server आपने directory को check करके बता देगा Facebook.com का ip address क्या है। जैसे ही Facebook की ip address मिल जाएगा बह ip address direct DNS recursor या local name server में भेज देगा। फिर DNS recursor उस IP address के जरिए Facebook website की server तक पुँछता है और उस facebook website की home pages को आपके browser में load करता है।
यह भी पूछे जाते है – People also ask
डीएनएस क्या है उदाहरण सहित समझाइए?
DNS internet में मिलने वाली एक ऐसा system है जो किसी भी website की name को उसकी unique IP address में और किसी website की unique IP address को उसकी unique name में convert करने का काम करता है। उदाहरण – www.amazon.com, itintelligance.com.
डोमेन किसे कहते है? What is Domin in Hindi ?
Domin name वह टेक्स्ट है जिसे उपयोगकर्ता किसी विशेष वेबसाइट तक पहुंचने के लिए आपने ब्राउज़र में टाइप करता है। मतलब internet में किसी website की unique name को Domin कहा जाता है। for example – www.amazon.com, itintelligance.com.
DNS ka full form क्या है – DNS ka full form in Hindi
DNS का full form है – Domain Name System
दुनिया का सबसे पहला Domin Name कोणसा है? Which is the world’s first Domin Name in Hindi ?
दुनिया का सबसे पहला Domin Name है – Symbolics.com। जो internet में 15th of March 1985 release हुआ।
CONCLUSION
उम्मीद करता हूँ, आप DNS क्या है और कैसे काम करता है – What is DNS in Hindi? इस notes को पूरा पढ़ने के बाद आपका सभी confusion clear हो गेया है और इस note से बहुत कुछ शिखने को मिला है। परन्तु यदि आपको इस पोस्ट में किसी जानकारी का अभाव लगता है या आपके पास इससे सम्बंधित कोई सवाल है. तो कृपया नीचे comment कर हमें जरूर बताये. आपके सुझाव हमारे लिए बहुत मायने रखते है. और एक बात आपको अगर किसी भी topic पर जानकारी चाहिए,जो अभी तक मैंने cover नहीं की तो आप नीच में comment करके बह topic बता सकते हो। आपका topic clear करने की मैं पूरा कोशिश करूंगा।
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मेरा नाम Avik, मैं IT Intelligance का Author हूँ। और वर्तमान समय में मैं George Telegraph Training Institute में Computer Hardware & Networking Engineering का शिक्षक हूँ। और शिक्षक होने के नाते मुझे कंप्युटर और नेटवर्किंग के बारे में सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है।